बिहारियों को फ्लॉवर समझा है क्या?
हाल ही में एक फिल्म आई थी पुष्पा। जिसमें फेमस डॉयलॉग है। फ्लॉवर समझा है क्या, फायर हूं। बिहारी अपनी प्रतिभा के दम पर भले ही दूसरे राज्यों में फायर साबित हो रहे हों, लेकिन दूसरे राज्य के नेता क्या बिहारियों को फ्लॉवर समझते है? खास तौर पर कांग्रेस नेताओं को क्या बिहारियों से नफरत है। क्या कांग्रेस को बिहारियों से दिक्कत है। ये सवाल इसीलिए क्योंकि बिहारियों को लेकर पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी का 'भईया' वाला बयान और बयान पर प्रियंका गांधी की ताली बजाती तस्वीर आई तो खूब बवाल हुआ। चन्नी के चवन्नी छाप बयान को लेकर कांग्रेस पर खूब सवाल हुआ। लेकिन इस बयान के आए अभी 15 दिन ही बीते थे कि अब कांग्रेस के एक और नेता का बिहारियों को लेकर ज़हर उगलने वाला बयान सामने आया है। तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी तेलंगाना सीएम के चंद्रशेखर राव पर हमला करते हुए बिहारियों पर वार करने लगे। रेवंत रेड्डी ने केसीआर को बिहार मूल बताकर केसीआर का बिहारी डीएनए बता दिया और बिहार के कानून व्यवस्था को लेकर निशाना साधने लगे।
तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी |
"आप सभी जानते हैं कि बिहार की राजनीति तलवार के बल पर कैसे चलती है। हिंसा का चुनाव होता है। रात में महिलाएं सुरक्षित रूप से बाहर नहीं निकल सकतीं। आप सभी जानते हैं कि बिहार में कानून-व्यवस्था कितनी खराब है।"-- रेवंत रेड्डी, अध्यक्ष, तेलंगाना कांग्रेस
वहीं तेलंगाना में मुख्य सचिव से लेकर डीजीपी तक और अन्य विभागों में बिहार मूल के अफसरों को मौका दिए जाने को लेकर भी सवाल उठाए। साथ ही बिहार के रहने वाले सियासी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को साथ रखने पर भी केसीआर पर हमला किया।
"राज्य प्रशासन में शीर्ष पद, मुख्य सचिव का पद सोमेश कुमार को दिया गया है जो बिहार से हैं और प्रभारी पुलिस महानिदेशक अंजनी कुमार भी बिहार से हैं। नगर प्रशासन के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार, संदीप कुमार सुल्तानिया सहित अन्य- राज्य प्रशासन में सभी विभागों का एक बड़ा हिस्सा बिहार से है। तेलंगाना के हमारे नौकरशाहों जैसे आरएस प्रवीण कुमार को एक कच्चा सौदा मिला है।"— रेवंत रेड्डी, अध्यक्ष, तेलंगाना कांग्रेस
दरअसल तेलंगाना में मुख्य सचिव का पद सोमेश कुमार को दिया
गया है जो बिहार से हैं और प्रभारी पुलिस महानिदेशक अंजनी कुमार भी बिहार से हैं।
नगर प्रशासन के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार, संदीप कुमार सुल्तानिया सहित अन्य-
राज्य प्रशासन में सभी विभागों का एक बड़ा हिस्सा बिहार से है। इसी को लेकर रेवंत रेड्डी निशाना साधते हुए बिहारियों पर वार करने
लगे। इसके पीछे मकसद भले ही स्थानीय सियासत चमकाना हो, लेकिन सवाल है कि बार-बार
अपनी सियासत चमकाने के लिए बिहारियों को निशाना क्यों बनाते हैं नेता।
ये सवाल इसीलिए भी क्योंकि पहली बार
नहीं है जब किसी दूसरे राज्य के सीएम या नेता ने बिहारियों को लेकर ज़हरीले बोल
बोले हैं। कभी राजस्थान में बीजेपी MLA का बिहारियों पर प्रहार, कभी दिल्ली सीएम केजरीवाल करते हैं वार, कभी एमपी
में रोजगार छीनने पर कमलनाथ का वार, कभी गुजरात में नेता करते हैं बिहारियों पर
वार। मतलब पंजाब से गुजरात तक, दिल्ली से राजस्थान तक, महाराष्ट्र से असम तक हर
राज्य में बार-बार बिहारियों को वहां के नेता और सियासी गुंडे निशाने पर लेते रहे
हैं। इसमें बीजेपी हो या कांग्रेस, आम आदमी पार्टी हो या शिवसेना। सभी पार्टी के
नेता शामिल रहे हैं। और हर बार बिहार से बयानों की निंदा का बयान आता है और फिर
सबकुछ भुला दिया जाता है। लेकिन सवाल है कि आखिर बिहार में ही बिहारियों को क्यों
नहीं मिलता रोजगार? अगर बिहार में ही बिहारियों को रोजगार
मिलता तो क्या बिहारियों पर बार-बार वार होता? सवाल का जवाब
समझने के लिए कुछ आंकड़े देखिए।
1951 से लेकर 1961 तक बिहार के करीब 4% लोगों ने दूसरे राज्य में पलायन किया था। 2011 की
जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि 2001 से 2011 के दौरान 93 लाख बिहारियों ने अपने राज्य को छोड़कर
दूसरे राज्य में पलायन किया। देश की पलायन करने वाली
कुल आबादी का 13% आबादी अकेले बिहार से है। जो उत्तर प्रदेश
के बाद दूसरे नंबर पर है। बिहारियों के पलायन की सबसे बड़ी वजह रोजगार है। आंकड़े
बताते हैं कि 55 फीसदी यानी आधे से ज्यादा बिहारी रोजगार की
तलाश में दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं। नेशनल करियर सर्विस पोर्टल के मुताबिक रोजगार की तलाश में सबसे ज्यादा
बिहार के युवा बेरोजगार ही है। दरअसल, इस पोर्टल पर रोजगार मांगने वालों में सबसे अधिक अधिक संख्या बिहार के
युवाओं की है। बिहार में 31 दिसंबर तक कुल 13 लाख 60 हजार 952 युवाओं ने
एनसीएस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया है। इन रजिस्टर्ड युवाओं में 19 लाख से ज्यादा पुरुष तो लगभग 3 लाख महिलाएं हैं। वहीं
पिछले 5 सालों में बिहार में बेरोजगारी दर 3 गुनी बढ़ गई है। जनवरी 2016 में
बेरोजगारी दर 4.4 थी, जबकि जनवरी 2022 में ये बढ़कर 13.3 पर है। वहीं CMIE की जनवरी-अप्रैल 2021 की रिपोर्ट से यह पता चलता है
कि बिहार में बेरोजगारी की मार सबसे ज्यादा ग्रेजुएट्स झेल रहे हैं। राज्य के 34.3
फीसदी ग्रेजुएट युवा बेरोजगार हैं। वहीं, 10वीं-12वीं पास वाले 18.5 फीसदी युवाओं के पास नौकरी नहीं
है। बिहार में बेरोजगारी दर 16 फीसदी है। जो जनवरी 2016
के मुकाबले चार गुनी है। ये हाल तब है जब 25
साल से कम उम्र की 57.2 फीसदी आबादी के साथ बिहार देश का
सबसे युवा राज्य है।
वहीं रोजगार के लिए पलायन के पीछे एक
बड़ी वजह दूसरे राज्यों में वर्कर को मिलने वाले ज्यादा पैसे भी हैं। बिहार इकोनॉमिक सर्वे बताता है कि बिहार
की एक फैक्ट्री में काम करने वाले वर्कर को हर साल 1.29 लाख रुपए मिलते
हैं। वहीं, पड़ोसी राज्य झारखंड
में हर वर्कर को सालाना 3.44 लाख मिलते हैं। बिहार की एक
फैक्ट्री औसतन 40 लोगों को रोजगार देती है। वहीं, हरियाणा में एक फैक्ट्री औसतन 120 लोगों को रोजगार
देती है।
हालत ये है कि ग्रामीण इलाकों में रोजगार की सबसे बड़ी केंद्रीय योजना मनरेगा में मांगने पर भी
बिहार में काम नहीं मिलता है और मजबूरन दूसरे राज्यों की ओर पलायन करना पड़ता
है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के
आंकड़ों के अनुसार, मांगने के बावजूद काम नहीं मिलने के मामले
में बिहार दूसरे नंबर पर है। वित्त वर्ष 2021-22 (जनवरी 2022
तक) मनरेगा में 52.35 लाख लोगों ने काम मांगा। इनमें 13.41 लाख 25.6
प्रतिशत लोगों को काम नहीं मिला।
बेरोजगारी
के पीछे एक कारण बिहार में सरकारी बहालियों में सिस्टम की सुस्ती भी है। एक बहाली
पूरा होने में 10 साल तक लग जाते हैं तब भी बहाली पूरी नहीं हो पाती है।
8 साल में बिहार SSC की बहाली नहीं हुई पूरी
3 साल में बेल्ट्रॉन डाटा एंट्री
ऑपरेटर को नहीं मिली नियुक्ति
5 साल में असिस्टेंट इंजीनियर की नहीं
हुई ज्वाइनिंग
3 साल में शिक्षकों की बहाली नहीं हुई
पूरी
हालांकि रोजगार को लेकर पलायन की
समस्या अपनी जगह है। लेकिन बिहारियों को लेकर नेताओं के बार-बार ज़हरीले बोल सवाल
खड़े करता है। सवाल है कि बार-बार अपनी सियासत चमकाने
के लिए बिहारियों को निशाना क्यों बनाते हैं नेता? आखिर बिहारियों को लेकर इतनी नफरत क्यों
है। बिहारी अगर अपनी मेहनत से मुकाम हासिल करते हैं, तो
दिक्कत क्यों? बिहारियों की प्रतिभा से इतनी जलन क्यों? बिहार के बच्चे सबसे ज्यादा IAS की
परीक्षा पास करते हैं तो परेशानी क्यों?
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