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भूल जाओ रोजगार, ज़ोर से बोलते रहो वैश्य, कुशवाहा, ब्राह्मण, निषाद और भूमिहार !

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  रोजगार का सवाल अगर जाति की दीवार तोड़कर एकजुट होकर युवाओं ने पूछना शुरु कर दिया तो राजनीतिक दुकानें बंद हो जाएगी। इसीलिए आप युवा नहीं, कुर्मी-कोईरी, राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण, निषाद, वैश्य में बंटे रहे और जयंती मनाते रहें। जातीय गोलबंदी के लिए अलग-अलग महापुरुषों के नाम पर जयंती  कभी सम्राट अशोक की जयंती के नाम पर कुर्मी-कोईरी वोट बैंक पर दावा, कभी भामाशाह की जयंती के नाम पर वैश्य समाज के वोट बैंक पर दावा, कभी परशुराम की जयंती के नाम पर भूमिहार ब्राह्मण के वोट बैंक पर दावा। कभी वीर कुंवर सिंह की जयंती के नाम पर राजपूतों को लामबंद करने की कोशिश। कभी बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती के नाम पर दलितों को एकजुट करने की कोशिश, तो कभी किसी और महापुरुष की जयंती के नाम पर किसी और जाति वर्ग के लोगों को एकजुट करने की कोशिश। ज़रा इन तस्वीरों को गौर कीजिए।   ये बिहार है। बिहार जहां आपके नाम और काम में दिलचस्पी हो ना हो, लेकिन आपके सरनेम और जाति में लोगों की ज्यादा दिलचस्पी होती है और अगर आपने कुछ बेहतर काम कर लिया, तब तो पक्का आपकी जाति, उपजाति, गोत्र वगैरह सब खोज लिया जाता है और उस जाति ...

बहाली के लिए ‘बवाल’ क्यों जरूरी हर बार?

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  एक तरफ जहां छठे चरण के तहत नियुक्ति पत्र हासिल करने के लिए 42 हजार बेरोजगारों को 32 महीने का लंबा इंतजार करना पड़ा। इस नियुक्ति पत्र के लिए भी कई बार धरना प्रदर्शन देना पड़ा, लाठियां खानी पड़ी। वहीं दूसरी तरफ 3 साल के इंतजार के बाद भी 90 हजार अभ्यर्थी धरने पर बैठने को मजबूर हैं। पटना के गर्दनीबाग में धरने पर बैठे ये वो बेरोजगार हैं, जो पिछले 3 सालों से एक अदद नौकरी के इंतजार में हैं। CTET-BTET पास करीब 90 हजार की संख्या में ऐसे अभ्यर्थी हैं जिन्हें पिछले 3 सालों से बहाली प्रक्रिया के लिए सिर्फ आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला है। ये अभ्यर्थी सातवें चरण के विज्ञापन निकालने और बहाली की प्रक्रिया जल्द शुरु करने की मांग कर रहे हैं। जिसके बाद मजबूरन इन्हें गर्दनीबाग में अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए धरना देना पड़ रहा है। अभ्यर्थी अगर मार्च में ही सातवें चरण के नोटिफिकेशन की मांग कर रहे हैं तो इसके पीछे वजह है शिक्षा विभाग से मिले बार-बार आश्वासन। ज़रा अखबारों में छपी शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के हवाले से छपी खबरों पर गौर कीजिए। कभी जनवरी-फरवरी तो कभी जल्द तो कभी मार्च में सातवें चर...

बहाली, बवाल और सवाल : सिस्टम के ‘MERIT’ के खेल में फंसे STET उम्मीदवार? शिक्षक बहाली में विवाद क्यों होता है बार-बार?

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ये दोनो तस्वीरें बिहार में शिक्षक बहाली से जुड़ी हुई हैं। एक में अभ्यर्थियों को 32 महीने के इंतजार के बाद नियुक्ति पत्र मिल रहा है और उनके चेहरे पर खुशी है। जबकि दूसरी तस्वीर में भी शिक्षक अभ्यर्थी हैं, जो STET 2019 की परीक्षा में पास हुए और सड़क पर प्रदर्शन और लाठी खाने को मजबूर है।   सवाल है कि आखिर शिक्षक बहाली में आखिर इतना झोल क्यों हो जाता है। क्यों किसी बहाली के लिए अभ्यर्थियों को बार-बार प्रदर्शन और हंगामा करना पड़ता है। आखिर STET 2019 के अभ्यर्थी क्यों सड़क पर उतरने को मजबूर हैं? इन सवालों का जवाब समझने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं और कैसे इन अभ्यर्थियों को अलग-अलग बयानों और बातों के ज़रिए गुमराह किया जाता रहा।  12 मार्च को STET 19 के रिजल्ट के बाद छपी खबर तारीख-12 मार्च 2021 STET 19के 12 विषयों का रिजल्ट जारी पेपर 1 और 2 में24,599 अभ्यर्थी हुए सफल 37 हजार रिक्तियों के मुकाबले 24,599 सफल अभ्यर्थी ‘सभी पास अभ्यर्थियों को नौकरी का भरोसा’ STET 2019 का रिजल्ट 12 मार्च 2021 को जारी किया गया था। 15 में 12 विषयों का रिजल्ट जारी किया गया। जिसमें पेपर 1 और पेपर 2 में कुल 24,599 ...

'पूरब का ऑक्सफोर्ड' अब रैकिंग की दौड़ में हिस्सा लेने के काबिल भी नहीं रहा, बाकी यूनिवर्सिटी की तो बात ही छोड़िए

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14 अक्टूबर 2017 की तारीख याद कीजिए। जब पटना यूनिवर्सिटी के शताब्दी वर्ष समारोह में सीएम नीतीश कुमार, पीएम नरेंद्र मोदी से हाथ जोड़कर पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय यूनिवर्सिटी का दर्जा देने की मांग करते रहे। जवाब में पीएम मोदी ने 20 टॉप यूनिवर्सिटी को वर्ल्ड क्लास बनाने का सपना दिखाकर बहला दिया। समारोह खत्म, तामझाम खत्म और केंद्रीय यूनिवर्सिटी का दर्जा देने की बात भी खत्म।  लेकिन सोचिए जो नीतीश कुमार खुद पटना यूनिवर्सिटी के प्रोडक्ट हैं। जो नीतीश कुमार पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय यूनिवर्सिटी का दर्जा देने की मांग करते रहे। आखिर वो यूनिवर्सिटी आज मरणासन्न क्यों है? कभी पूरब का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले पटना यूनिवर्सिटी आखिर क्यों देश के टॉप 100 यूनिवर्सिटी की रैकिंग में भी जगह लाने के काबिल नहीं है। जी हां, नेशनल इंस्टीट्यूशन रैंकिंग फ्रेमवर्क यानी NRIF की देश भर के यूनिवर्सिटीज को लेकर ओवरऑल रैकिंग 11 जून को जारी की गई। इसमें पटना यूनिवर्सिटी का कहीं नामोनिशान नहीं है। सबसे हैरानी की बात ये है कि पटना यूनिवर्सिटी इस दौड़ में शामिल ही नहीं हुआ और ये पहली बार नहीं है जब पीयू ने खुद को ...