'पूरब का ऑक्सफोर्ड' अब रैकिंग की दौड़ में हिस्सा लेने के काबिल भी नहीं रहा, बाकी यूनिवर्सिटी की तो बात ही छोड़िए
14 अक्टूबर 2017 की तारीख याद कीजिए। जब पटना यूनिवर्सिटी के शताब्दी वर्ष समारोह में सीएम नीतीश कुमार, पीएम नरेंद्र मोदी से हाथ जोड़कर पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय यूनिवर्सिटी का दर्जा देने की मांग करते रहे। जवाब में पीएम मोदी ने 20 टॉप यूनिवर्सिटी को वर्ल्ड क्लास बनाने का सपना दिखाकर बहला दिया। समारोह खत्म, तामझाम खत्म और केंद्रीय यूनिवर्सिटी का दर्जा देने की बात भी खत्म।
लेकिन सोचिए जो नीतीश कुमार खुद पटना यूनिवर्सिटी के प्रोडक्ट हैं। जो नीतीश कुमार पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय यूनिवर्सिटी का दर्जा देने की मांग करते रहे। आखिर वो यूनिवर्सिटी आज मरणासन्न क्यों है? कभी पूरब का ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले पटना यूनिवर्सिटी आखिर क्यों देश के टॉप 100 यूनिवर्सिटी की रैकिंग में भी जगह लाने के काबिल नहीं है। जी हां, नेशनल इंस्टीट्यूशन रैंकिंग फ्रेमवर्क यानी NRIF की देश भर के यूनिवर्सिटीज को लेकर ओवरऑल रैकिंग 11 जून को जारी की गई। इसमें पटना यूनिवर्सिटी का कहीं नामोनिशान नहीं है। सबसे हैरानी की बात ये है कि पटना यूनिवर्सिटी इस दौड़ में शामिल ही नहीं हुआ और ये पहली बार नहीं है जब पीयू ने खुद को रैकिंग के इस दौड़ से अलग रखा। पीयू पीछले पांच सालों से जब से रैंकिग की शुरूआत हुई तबसे अबतक एक बार भी आवेदन करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। सोचिए 103 साल पुरानी यूनिवर्सिटी, जिसे केंद्रीय यूनिवर्सिटी का दर्जा देने के नाम पर सियासत चमकाई जाती है, वो इस काबिल भी नहीं, देश के बाकी यूनिवर्सिटी के साथ रैकिंग की इस दौड़ में शामिल हो सके। इससे पहले पिछले साल NAAC ग्रेड भी पीयू को बी प्लस मिला था। जबकि 156 साल पुराने पटना कॉलेज को C कैटेगरी में डाल दिया गया। रिसर्च और प्रोजेक्ट वर्क नहीं रहने के कारण ही नैक में भी बेहतर प्रदर्शन पीयू का नहीं रहा।
NRIF रैकिंग में दिखी बिहार के शिक्षा व्यवस्था की सड़ी तस्वीर
वहीं बिहार में हायर एजुकेशन की सड़ी हालत का अंदाजा भी NRIF की रैकिंग से पता चलता है। इस बार NRIF के लिए बिहार से मात्र सात शिक्षण संस्थानों ने आवेदन किया था। बाकी शिक्षण संस्थानों, आवेदन करने की हिम्मत नहीं जुटा पाये। NIRF में रैंकिंग के लिए IIT-पटना, एनआईटी, सीयूएसबी, चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, वैशाली इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस एंड रूरल मैनेजमेंट और पटना साहिब टेक्निकल कैंपस ने ही आवेदन किया था।
सिर्फ IIT पटना को मिली टॉप 100 में जगह
देश के 100 सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों में बिहार का एक मात्र शिक्षण संस्थान आईआईटी पटना है। हालांकि पिछले साल के मुकाबले उसकी भी रैकिंग में तेजी से गिरावट होती जा रही है ओवर ऑल कैटैगरी में आईआईटी पटना 54वें स्थान पर है, जबकि पिछले साल 58वें स्थान पर था। जबकि इंजीनियरिंग कॉलेजों की कैटेगरी में भी आईआईटी पटना में गिरावट हुई। आईआईटी पटना को टॉप 100 इंजीनियरिंग कॉलेजों की कैटोगरी में 26वां स्थान मिला है, जबकि 2019 की रैंकिंग में आआइटी पटना को 22वां स्थान मिला था। हैरानी की बात है कि 2016 में यही आइआइटी पटना देश भर में इंजीनियरिंग कॉलेजो में 10वें स्थान पर था।
वहीं, एनआईटी पटना को ओवरऑल कैटेगरी में टॉप 200 संस्थानों में जगह मिला है। जबकि टॉप 100 इंजीनियरिंग कॉलेजों के कैटेगरी में एनआईटी पटना को 92 वां रैंक मिला, जबकि 2016 में इसे 87 वां रैंक मिला था।
टॉप 10 यूनिवर्सिटी |
देश के टॉप 40 मेडिकल कॉलेजों में बिहार का एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं है। ना ही लॉ कालेज के कैटेगरी में बिहार का कोई लॉ कॉलेज है। NIRF संस्थानों की रैंकिंग टीचिंग, लर्निंग एंड रिसोर्सेज, रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिसेज, ग्रेजुएशन के नतीजे और आउटरीच के आधार पर तय करता है। यानी साफ है इन पैमानों पर बिहार की यूनिवर्सिटी और कॉलेज कहीं भी नहीं टिकते हैं।
हायर एजुकेशन में निचले पायदान पर बिहार
बिहार में हायर एजुकेशन की हालत समझने के लिए आप MHRD की ओर से जारी किए जाने वाले ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन यानी AISHE की रिपोर्ट से भी लगा सकते हैं। साल 2015-16 की AISHE रिपोर्ट ने कॉलेज और यूनिवर्सिटी की संख्या मामले में बिहार को सबसे नीचे रखा था। 2015-16 की रिपोर्ट के मुताबिक 18-23 साल की उम्र के 1 लाख की आबादी पर बनाए गए कॉलेजों की संख्या मात्र 7 थी, जो 2018-19 की रिपोर्ट में भी 7 ही है। जबकि कर्नाटक में ये संख्या 53 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 28 है। ज़ाहिर है ज्ञान की धरती माने जाने बिहार में, ज्ञान के केंद्र की हालत सड़ती जा रही है, लेकिन फिर भी आपको बिहार में बहार होने का सपना दिखाया जा रहा है और आप देख रहे हैं।
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