...तो वोटबैंक की वजह से हुआ बिहार के स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार का तबादला !
संजय कुमार, ये वो नाम है जो 20 मई को अचानक बिहार के गलियारे में चर्चा का विषय बन गया। ईमानदार और कर्मठ अधिकारियों की फेहरिस्त में बड़ा नाम माना जाता है संजय कुमार को। लेकिन बिहार में एक तरफ जहां कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे थे, ठीक उसी दौरान स्वास्थ्य सचिव के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे संजय कुमार के तबादले की खबर ने सबको हैरान कर दिया। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार का तबादला पर्यटन विभाग में कर दिया। संजय कुमार ने खुद ट्विटर पर इसकी सूचना 21 मई को साझा करते हुए 100 बेड के SKMCH अस्पताल मुजफ्फपुर की तस्वीर पोस्ट की और जाते-जाते इसे अपनी उपलब्धियों में जोड़ लिया। इस अस्पताल का उद्घाटन चंद दिनों बाद 6 जून को सीएम नीतीश ने किया।
संजय कुमार के इस विदाई ट्वीट के जवाब में सभी लोगों ने उनके काम को सराहा। साथ ही उनके गंदी राजनीति के शिकार होने की बात कही। इसके अलावा रोजाना कोरोना को लेकर अपडेट को लेकर भी उनकी तारीफ की।
इससे संजय कुमार की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके अलावा सीएम नीतीश कुमार के चहेते अधिकारियों में से एक माने जाते थे संजय कुमार।
इससे संजय कुमार की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके अलावा सीएम नीतीश कुमार के चहेते अधिकारियों में से एक माने जाते थे संजय कुमार।
ऐसे में सवाल उठने लगे कि बिहार में जब कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, तो ऐसे में बेहतर काम कर रहे स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को उनके पद से हटाने की क्या जरूरत पड़ी? कई किस्से कहानियां भी सुनने सुनाए जाने लगे। लेकिन आज उन किस्से कहानियों से हटकर आपको बताएंगे संजय कुमार के तबादले की असली वजह। वो वजह थी एक स्वास्थ्य अधिकारी का निलंबन। आपको पूरा सच बताएंगे। लेकिन पहले देखिए वो कौन सी कहानियां बिहार के गलियारे में सुनने को मिली संजय कुमार के तबादले के पीछे।
कहानी नंबर एक-
निजी टि्वटर हैंडल से जानकारियां साझा करना
कोविड-19 महामारी के दौरान भी मीडिया से जानकारियां साझा करने को लेकर संजय कुमार के काफी एक्टिव थे. महामारी को लेकर बारीक से बारीक जानकारियां भी संजय कुमार अपने निजी टि्वटर हैंडल के जरिए साझा किया करते थे. असर ये हुआ कि पिछले 1 महीने में संजय कुमार के टि्वटर फॉलोवर्स की संख्या में तकरीबन 30,000 की बढ़ोतरी हुई। लेकिन कोरोना को लेकर सही आंकड़ा लोगों के बीच जाने से सरकार की छवि पर असर पड़ने लगा। वहीं कई बार स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के ट्वीट किए आंकड़े से अलग संजय कुमार के ट्वीट में कोरोना के आंकड़े होते थे।
यह कहा जा रहा है कि सरकार के बड़े आला अधिकारियों को खटक रही थी कि आखिर स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए जानकारियां साझा ना करके संजय कुमार अपने निजी टि्वटर हैंडल के जरिए जानकारियां क्यों साझा कर रहे थे?
कहानी नंबर दो-
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से अनबन
बताया जाता है कि संजय कुमार की स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से कभी भी नहीं बनती थी। जिसकी बानगी ये है कि स्वास्थ्य मंत्री और संजय कुमार के बीच कभी कोरोना को लेकर समीक्षा बैठक नहीं हुई, जब भी बैठकें हुईं नीतीश कुमार की अगुआई में। लेकिन संजय कुमार के जाते ही और स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के पद पर उदय कुमार कुमावत के आते ही मंगल पांडेय ने अलग से 4 जून को समीक्षा बैठक की। जिसकी तस्वीरें उन्होने ट्टवीट भी किया। जिसमें दोनों के बीच बेहतर अंडरस्टैंडिंग नज़र आ रही हैं।
लेकिन इस तरह की बैठक या अंडरस्टैंडिंग संजय कुमार के साथ कभी नहीं रही। इसके अलावा डॉक्टरों के तबादले को लेकर भी संजय कुमार और मंगल पांडेय के बीच तकरार था। मंगल पांडेय जहां कई डॉक्टरों को गृह जिला में तबादला कराना चाहते थे, वहीं संजय कुमार इसके लिए तैयार नहीं थे। इसके अलावा सोशल मीडिया पर संजय कुमार जो कोविड-19 को लेकर जानकारियां साझा कर रहे थे और मंगल पांडे भी अपने लेवल पर जो जानकारियां साझा कर रहे थे उन दोनों जानकारियों में काफी असमानता थी। इसको लेकर भी बिहार सरकार की काफी किरकिरी हो रही थी। साथ ही ट्विटर पर और मीडिया में लोकप्रियता संजय कुमार बटोर रहे थे।
कहानी नंबर तीन-
रोजाना 10000 सैंपल टेस्टिंग नहीं होना!
कुछ दिनों में बिहार में जिस तरीके से कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं उसको लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य विभाग को रोजाना 10000 टेस्टिंग करने के निर्देश जारी किए थे, मगर इसके बावजूद भी रोजाना केवल 2500-2700 सैंपल की टेस्टिंग हो पा रही थी. इसको लेकर भी नीतीश कुमार संजय कुमार से काफी नाराज थे, क्योंकि हाल के दिनों में प्रवासी मजदूरों के बिहार लौटने के बाद से कोविड-19 मरीजों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है।
कहानी नंबर चार-
362 डॉक्टरों को शो कॉज नोटिस जारी किया
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने पूरे बिहार में 362 ऐसे डॉक्टरों की लिस्ट तैयार की थी जो कोविड-19 महामारी के दौरान अपनी ड्यूटी से नदारद थे. संजय कुमार ने इन सभी डॉक्टरों को शो कॉज नोटिस जारी किया था और इनके खिलाफ कार्रवाई करने के मूड में थे. बताया जाता है कि डॉक्टरों की यह लॉबी भी संजय कुमार को उनके पद से हटाने में काफी हावी रही।
इन तमाम कहानियों को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है। या यूं कहें कि ये कहानियां संजय कुमार के तबादले की पटकथा हो सकती है, लेकिन ठोस वजह नहीं, तो ठोस वजह क्या थी।
तबादले के पीछे का सच
एक बड़े डॉक्टर को किया था सस्पेंड
8 अप्रैल की वो तारीख थी, जिस दिन से संजय कुमार सीएम नीतीश की नज़र में चढ़ गए। दरअसल 8 अप्रैल को पीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह को सस्पेंड कर दिया था। डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह के खिलाफ आरोप था कि कोविड-19 के सैंपल टेस्टिंग में पीएमसीएच का माइक्रोबायोलॉजी विभाग काफी शिथिल था और जांच में तेजी नहीं आ पा रही थी. इसी को लेकर संजय कुमार ने डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह को निलंबित कर दिया।
डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह |
जानकारी के मुताबिक, संजय कुमार की इस कार्रवाई से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी नाराज थे और 5 दिन के अंदर ही 14 अप्रैल को डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह का निलंबन राज्य सरकार ने रद्द कर दिया।
इस निलंबन को ख़त्म करवाने में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शामिल होना पड़ा और वो डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह को सस्पेंड किए जाने से ख़ुश नहीं थे।
दरअसल डॉ. सत्येंद्र के पिता डा मोहन सिंह पटना के जाने-माने पैथोलॉजिस्ट थे। उनकी पहचान एक समाजसेवी के तौर पर भी की जाती थी। हमेशा सुर्खियों में रहने वाले ‘पटेल छात्रावास’ की स्थापना में डा मोहन सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका थी। पटेल छात्रावास की स्थापना कुरमी बिरादरी के छात्रों को पटना में रह कर पढाई-लिखाई का अवसर देने के लिए की गयी थी। जाहिर है पटेल छात्रावास को बनाने-संवारने वाले डा मोहन सिंह की कुरमी समाज में अच्छी साख थी। जानकार बताते हैं कि डा सत्येंद्र अपने पिता की साख से लाभान्वित होते रहे हैं। कुरमी समाज में धाक के कारण ही सीएम नीतीश से उनकी करीबी भी मानी जाती थी।
माना जा रहा है कि वोटबैंक भी एक बड़ी वजह बनी संजय कुमार को प्रधान सचिव की कुर्सी से हटाने के पीछे। क्योंकि डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह के निलंबन से खासी नाराजगी थी। इस मामले पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी ट्वीट कर डॉ. सत्येंद्र नारायण सिंह के नीतीश की करीबी होने का जिक्र किया है। वहीं संजय कुमार के तबादले के पीछे भी तेजस्वी सत्येंद्र नारायण प्रकरण को ही जिम्मेदार ठहराया।
ज़ाहिर है इस तबादले ने नौकरशाहों के लिए सबक दे दिया है कि अगर आपको टिकना है, तो पॉलिटिकल बैलेंस और सरकार के साथ चलना होगा।
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