...तो सीएम नीतीश ने बिहार में कोरोना टेस्ट को लेकर पीएम मोदी से झूठ बोला? कोरोना टेस्ट को लेकर स्वास्थ्य मंत्री के दावे भी झूठे हैं?
12 मई का बिहार के सीएम नीतीश कुमार का ये ट्वीट देखिए और 12 मई को समीक्षा बैठक में सीएम के दिए निर्देशों को पढ़िए। साफ लिखा है कि सीएम ने अधिकारियों को बिहार भर में हर रोज कोरोना के टेस्ट की संख्या दस हजार तक पहुंचाने का निर्देश दिया है। लेकिन क्या सीएम के उस निर्देश का पालन एक महीने से ज्यादा बीत जाने के बाद भी हुआ। क्या सीएम नीतीश खुद अपने दिए गए निर्देशों को लेकर गंभीर हैं?
ये सवाल इसीलिए क्योंकि 17 जून को सीएम नीतीश ने पीएम मोदी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में कोरोना को लेकर समीक्षा बैठक की। इस बैठक में बिहार को लेकर सीएम नीतीश ने दावे किए कि बिहार में हर रोज कोरोना के दस हजार टेस्ट किए जा रहे हैं, जो कई अखबारों में भी छपी।
लेकिन क्या सीएम नीतीश ने पीएम मोदी के सामने सही दावा किया, या झूठ बोला? ये सवाल क्योंकि पीएम के सामने सीएम के दस हजार टेस्ट के दावे के अगले ही दिन बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का दावा ट्विटर पर आता है, जिसमें वो 18 जून यानी एक दिन में 5 हजार टेस्ट होने का दावा करते हैं।
तो क्या माना जाए सीएम नीतीश ने पीएम मोदी से झूठ बोला या फिर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय झूठा दावा कर रहे हैं। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री के ट्वीट पर रिएक्शन में कई लोगों ने उनके इस दावे पर तंज भरे शब्दों में सवाल उठाए। साथ ही सीएम के दस हजार टेस्ट के दावे से तुलना भी किया।
लेकिन बिहार में कोरोना टेस्ट को लेकर भ्रम की स्थिति सिर्फ इतनी भर नहीं है। खुद स्वास्थ्य मंत्री के दावे हवा हवाई साबित होते नजर आते हैं। क्योंकि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय 5 जून को ट्विटर पर दावा करते हुए लिखते हैं कि 20 जून तक बिहार में हर रोज कोरोना के दस हजार टेस्ट होने लगेंगे, वही स्वास्थ्य मंत्री 20 जून से दो दिन पहले 18 जून को ट्टीट कर 5 हजार टेस्ट का दावा कर इतराते हैं।
साफ है बिहार की जनता को मूर्ख बनाने का ये सरकारी और सस्ता तरीका है। लेकिन जनाब मामला यहीं खत्म नहीं होता है। 5 हजार के आंकड़े में भी झोल है। इसे समझने के लिए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का 9 जून का ये ट्टीट देखिए। जिसमें वो अब तक बिहार में 1 लाख 6 हजार कोरोना सैंपल की जांच की बात कर रहे हैं, जबकि 18 जून को स्वास्थ्य मंत्री 1 लाख 40 हजार जांच पूरे होने की बात कर रहे हैं। यानी 9 जून के बाद से 18 जून तक 8 दिनों में 34 हजार सैंपल की जांच हुई, जो कि 4250 सैंपल टेस्ट प्रतिदिन औसतन के हिसाब से हुआ।
साफ है आंकड़ों में मंत्री जी यहां भी गड़बड़झाला कर गए। वैसे भी ये मंत्री जी वही हैं, जो पिछले साल मुजफ्फरपुर में AES से बच्चों की मौत पर क्रिकेट मैच का स्कोर पूछ रहे थे।
लेकिन सवाल है कि सीएम नीतीश ने कोरोना टेस्ट को लेकर पीएम मोदी और बिहार की जनता से झूठ क्यों बोला। सवाल ये भी कि आखिर बिहार में कब कोरोना टेस्ट की संख्या दस हजार पहुंचेंगी। तो क्या ये माना जाए कि अगर टेस्ट ज्यादा होंगे, तो बिहार में कोरोना मरीजों की संख्या में इजाफा तेजी से होगा।
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