कोरोना के 10 हजार टेस्ट पर ही स्वास्थ्य मंत्री के दावे हो गए फुस्स, सीएम नीतीश दिखा रहे हैं 20 हजार टेस्ट का सपना
लेकिन इसमें भी मंत्री जी को अपनी उपलब्धि नज़र आ रही है। लेकिन हकीकत ये है कि उन्होने जो दावा किया था, वो ना सिर्फ फुस्स हो गया, बल्कि दस हजार के लक्ष्य से करीब आधे ही रहा। अब पता नहीं मंत्री जी किस मुख से दोबारा दावा करेंगे। लेकिन मामला यहीं नहीं खत्म होता है। बिहार के सुशासन में इतना गड़बड़झाला है कि स्वास्थ्य मंत्री दस हजार के लक्ष्य से आधे पर ही फुस्स हो जा रहे हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं कि ना सिर्फ पीएम के सामने ये दावा करते हैं कि दस हजार टेस्ट हर रोज हो रहे हैं, बल्कि वो अब 20 हजार टेस्ट प्रतिदिन का सपना भी दिखाते हैं। ज़रा प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी प्रेस रिलीज पर गौर कीजिए।
कहां तो मुख्यमंत्री जी ने पिछले साल 12 मई को ही हर रोज दस हजार टेस्ट करवाने का निर्देश दिया था और कहां तो हालत ये है कि दस हजार के आधे पर ही स्वास्थ्य मंत्री दम ठोककर इतराते हैं और मुख्यमंत्री जी को पता नहीं कौन दस हजार टेस्ट प्रतिदिन का आंकड़ा देकर उनसे झूठ बुलवा रहा है। अब 20 हजार टेस्ट प्रतिदिन का सीएम साहब ने दावा किया है तो देखिएगा शायद कागज पर वो भी हो जाएगा। क्योंकि बिहार में कागज पर तो सब बढ़िया है, लेकिन जमीनी हकीकत तो सब जानते हैं। लेकिन शायद वो हकीकत आपको बताया नहीं जाएगा, तो आपको भी लगेगा, कि सब बढ़िया है। सोचिए 12 करोड़ की आबादी वाले बिहार में हम 3 महीने में हर रोज 5000-6000 टेस्ट प्रतिदिन कर पा रहे हैं, तो क्या वाकई हम कोरोना पर नियंत्रण रखने की कारगर रणनीति पर काम कर रहे हैं?इसीलिए कोरोना के आंकड़ों पर मत जाइए, क्योंकि जितना ज्यादा टेस्ट होगा, उतने मामले सामने आ सकते हैं। लेकिन अगर टेस्ट ज्यादा नहीं हो रहा है, तो इसका मतलब कोरोना कम है या ज्यादा, इसका आकलन मत कीजिएगा और अपना और अपने परिजनों को बचाव आपके हाथ में। सरकार के भरोसे मत रहिएगा।
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