बिना प्रदर्शन के बहाली के लिए सिस्टम की नींद क्यों नहीं खुलती है?

 


बिहार में किसी बहाली को लेकर सिस्टम बिना विरोध प्रदर्शन और बवाल के क्यों नहीं जागता है? आखिर क्यों बार-बार अभ्यर्थियों को पटना आकर धरना प्रदर्शन और हंगामा करने पर मजबूर होना पड़ता है। क्या बिना हंगामा और विरोध प्रदर्शन के कोई बहाली पूरी नहीं हो सकती है। खास तौर पर शिक्षक बहाली को लेकर तो मानो बिना हंगामे और विरोध प्रदर्शन के सिस्टम की नींद नहीं खुलती है। छठे चरण के प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 32 महीने का इंतजार करना पड़ा। कई बार पटना में विरोध प्रदर्शन और हंगामा हुआ, अभ्यर्थियों को लाठियां भी खानी पड़ी। हर हंगामे के बाद नियुक्ति की तारीख पर तारीख मिलती रही, अब जाकर 32 महीने बाद छठे चरण के तहत 42 हजार शिक्षक अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र मिल रहा है। वहीं माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक का सपना संजोए 32 हजार अभ्यर्थियों को झटका लगा, जब कोर्ट के आदेश का हवाला देकर आखिरी वक्त में नियुक्ति पर रोक लगा दी गई।




अब सातवें चरण की बहाली को लेकर तीन साल से 90 हजार अभ्यर्थी इंतजार कर रहे हैं, 2019 में सीटेट और बीटेट पास 90 हजार शिक्षक अभ्यर्थी हैंजो तीन साल से शिक्षक बनने का सपना देख रहे हैं। सिस्टम की गलतियों के कारण छठे चरण में इन्हें मौका नहीं मिल पाया। महज 11 दिनों के अंतर से छठे चरण में इन्हें मौका नहीं मिल पाया। क्योंकि छठे चरण के नोटिफिकेशन निकलने के 11 दिन बाद सीटेट का रिजल्ट निकला। अब अभ्यर्थी सातवें चरण की बहाली का इंतजार कर रहे हैं। शिक्षा विभाग कभी जनवरी-फरवरी तो कभी मार्च तो कभी बहुत शीघ्र सातवें चरण की बहाली शुरु करने का आश्वासन देता हैलेकिन तारीखों को लेकर कोई घोषणा या सुगबुगाहट नहीं है। जिसे लेकर एक बार फिर से 90 हजार अभ्यर्थी आंदोलन के मूड में हैं।  3 मार्च से पटना के गर्दनीबाग में आंदोलन के मूड में हैं। इसे लेकर लगातार ट्विटर और सोशल मीडिया पर अभियान भी चला रहे हैं। फिर भी इन्हें जवाब नहीं मिल रहा है। अभ्यर्थियों का कहना है कि सातवें चरण की बहाली मार्च के बजाए अप्रैल में करे, लेकिन कम से कम एक तारीख तो स्पष्ट कर दें। वहीं बजट में भी बहाली को लेकर कोई स्पष्टता नहीं होने से भी अभ्यर्थियों में भ्रम की स्थिति है। 
Twitter पर अभ्यर्थी 3 मार्च से पटना में आंदोलन के लिए अभियान चला रहे हैं


अभ्यर्थियों के सवाल पूछे जाने पर शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव एक ही रट लगाए हैं, बहुत जल्द शुरु करेंगे सातवें चरण की बहाली। यानी एक बार फिर से पटना में 3 मार्च से अभ्यर्थियों का धरना होगा, विरोध प्रदर्शन होगा और उन्हें लाठियां खानी होगी। तब जाकर सिस्टम की शायद नींद खुले। मतलब बिहार में नौकरी के लिए 3 से 4 साल तक इंतजार करो, बार-बार लाठियां खाओ। ये एक परंपरा बन गई है। जबकि चुनाव के वक्त नेता ऐसे वादा करते हैं, जैसे जीतते ही नियुक्ति पत्र हाथ में थमा देंगे। लेकिन चुनाव बाद नौजवानों को नौकरी के लिए सड़क पर लाठी खाने पर मजबूर कर देते हैं।

टिप्पणियाँ

  1. आपका प्रयास सराहनीय है सर सरकार शिक्षा विभाग ये बताए सर की शीघ्र जल्दी तुरंत कितने ही का होता है श्रीमान हमलोग की जिंदगी आंदोलन में ही खत्म हो जाएगा लाठी चार्ज किया जाएगा श्रीमान तब पढ़ाई करना गुनाह है सर ये बताए

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  2. बहुत-बहुत धन्यवाद सर🙏🙏🙏🙏

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  3. दिल की बात लिखी है सर।
    ये बिहार शिक्षा, लोकतंत्र, गणतंत्र, राजाओं,विद्वानों की भूमि के साथ-साथ आंदोलनकारियों की धरती भी रही है।ये निक्कमी सरकारें सोचे।

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  4. बहुत-बहुत धन्यवाद सर

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  5. आप जैसे कुछ और पत्रकार साथ मिलकर आवाज उठाएं तो वंचितों को जल्द अधिकार मिल जाएगा
    आपका धन्यवाद

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