बिहार में बेरोजगारों की फौज पहले से 38 प्रतिशत बढ़ी , प्रवासी मजदूरों को कहां से मिलेगा रोजगार?
24 मई को एक क्वारंटीन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूरों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान संवाद के दौरान नीतीश कुमार को मजदूर ने कहा था, नून रोटी खाएंगे, बिहार में रहेंगे, तो जवाब में नीतीश ने भी कहा कि ठीक है, यहीं रहना है। लेकिन सवाल है कि उन मजदूरों को नून रोटी खाने के लिए भी क्या रोजगार मिल पाएगा। ये सवाल इसीलिए क्योंकि बिहार में पहले से ही बेरोजगारों की फौज खड़ी है, जिसे रोजगार देने में सरकार नाकाम रही, तो अब बाहर से लौटे इन 30 लाख मजदूरों को कहां से रोजगार देगी। क्योंकि बेरोजगारी के जो ताजा आंकड़े सामने आए हैं, वो कम से कम यही बताते हैं कि बिहार में रोजगार छोड़िए, नून रोटी पर भी आफत आ जाएगी। खास तौर पर तब जब बेरोजगारी की बोझ तले बिहार में करीब 30 लाख प्रवासी मजदूर भी लौट आए हैं और वो भी रोजगार की आस में नीतीश की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। तो सबसे पहले वो आंकड़े बताते हैं जिसके बारे में शायद अब तक आपको किसी ने नही बताया हो। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इकोनॉमी यानी CMIE ने अप्रैल 2020 का बेरोजगारी का आंकड़ा पेश किया है। उसके मुताबिक बिहार में बेरोजगारी के आंकड़ों में पिछले दो सालों में 40.2 प्...