शराब पीने वालों को नहीं होगी जेल ! सुप्रीम कोर्ट की फटकार का असर तो नहीं?
‘’शराब पीने वाला हैवान बन जाता
है।‘’
सीएम नीतीश कुमार समाज सुधार अभियान
के दौरान अपने हर भाषण में ये बात कहते हैं और शराब पीने वालों को जमकर कोसते हैं।
दूसरी तरफ पूर्ण शराबबंदी की सफलता के लिए ड्रोन से लेकर हेलीकॉप्टर तक स्वान
दस्ता से लेकर आतंकवाद निरोधक दस्ता तक लगाए गए हैं। लेकिन इसी शराबबंदी में अब
शराब पीने वालों को जेल नहीं होगी। जी हां आपने सही सुना। शराब पीते हुए अगर कोई
पकड़ा जाता है, तो उसे जेल नहीं होगी। लेकिन एक शर्त है।
उत्पाद आयुक्त कृष्ण कुमार सिंह |
दरअसल मद्य निषेध और उत्पाद विभाग ने एक बड़ा फैसला लिया है। .शराब पीकर पकड़े जाने पर आरोपी अगर पुलिस की मदद करेगा तो उसे जेल नहीं जाना पड़ेगा। सोमवार को उत्पाद आयुक्त कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि अगर कोई शख्स शराब पीकर पकड़ा जाता है, और उसकी निशानदेही पर अगर शराब की बरामदगी होती है और शराब तस्कर पकड़ा जाता है तो विभाग शराब पीने वाले को कानूनी प्रक्रिया के तहत सहायता देगा और जेल भी नहीं जाना पड़ेगा। इस फैसले पर सियासत भी शुरू हो गई। कांग्रेस ने कहा है कि सरकार पूरी तरह कंफ्यूज हो गई है और शराबबंदी कानून इनके लिए गले की हड्डी बन गया है। तो क्या वाकई शराबबंदी सरकार के लिए गले की हड्डी बन गई है? शराबबंदी को लेकर सीएम नीतीश एक तरफ जहां सख्ती बरतने के मूड में नज़र आते हैं, तो फिर शराब पीने वालों के लिए ऐसी नरमी का फैसला क्यों?
सुपीम कोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा है कि
क्या शराबबंदी कानून लागू करने से पहले
राज्य सरकार ने कोई अध्ययन किया?
कानून लागू करने से पहले यह देखा कि इसके
लिए न्यायिक ढांचा तैयार है या नहीं?
सरकार से यह उम्मीद की जाती है कि वह कानून
बनाते समय उसके सभी पहलुओं को देखें
अदालती ढांचे को विकसित करने के लिए बिहार
सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?
क्या कोर्ट और जजों की संख्या बढ़ाने को
लेकर कोई कदम उठाए हैं?
इस कानून में बिहार
सरकार प्ली बारगेनिंग प्रावधान जोड़ेगी या नहीं?
कोर्ट में आरोप स्वीकार
करने पर सजा में नरमी को प्ली बारगेनिंग कहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने
अदालतों में शराबबंदी कानून से जुड़े मामलों और जमानत याचिकाओं की बाढ़ को लेकर भी
बिहार सरकार से सवाल पूछे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटना हाईकोर्ट के 26 में से 16 जज शराबबंदी कानून से जुड़े मसले देखने में व्यस्त हैं। बिहार में निचली
में भी जमानत याचिकाओं की बाढ़ आ गई है। जमानत याचिकाओं को खारिज करने पर जेलों मे
कैदियों की संख्या तेजी से बढ़ेगी। बिहार
सरकार को सभी बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अब इस मामले की
सुनवाई 8 मार्च को होगी। यानी 8 मार्च को सरकार
को जवाब देना है, उससे पहले शराब पीने वालों को सशर्त जेल नहीं भेजने का फैसला
लिया गया है।
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने
शराबबंदी के आरोपियों की जमानत के खिलाफ बिहार सरकार की याचिका पर 11 जनवरी को
फटकार लगा चुका है। वहीं CJI ने शराबबंदी कानून
को अदूरदर्शिता का उदाहरण बताया था। साफ है शराबबंदी कानून को लेकर बढ़ती जमानत
याचिकाओं के बोझ को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सवालों का जवाब देना सरकार के लिए
मुश्किल साबित हो रहा है। यही वजह है कि सरकार शराबबंदी को लेकर अब ढील देने के
मूड में नज़र आ रही है।
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