बिहार में 28,391 लोगों पर एक डॉक्टर, लेकिन VVIP के लिए डॉक्टरों की फौज लगा दी जाती है


पीएमसीएच अधीक्षक का आदेश

पीएमसीएच अधीक्षक की ओर से जारी यही वो आदेश है, जिसे लेकर बिहार की सियासत मंगलवार को दिन भर गर्म रही। दरअसल सीएम नीतीश कुमार की भतीजी कोरोना संक्रमित पाई गईं। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से सीएम आवास में वेंटिलेटर युक्त अस्पताल के संचालन के लिए 6 सीनियर डॉक्टरों और तीन ए ग्रेड नर्सों की तैनाती करने का आदेश दिया गया। इस आदेश पत्र के सामने आते ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को नीतीश कुमार पर हमला करने का मौका मिल गया।



तेजस्वी के सवाल के पीछे भले ही सियासत हो, लेकिन सच ये भी है कि बिहार में डॉक्टरों की भारी कमी है। एक आंकड़े के मुताबिक बिहार में 28,391 लोगों पर सिर्फ एक डॉक्टर हैं। वहीं 8 हजार 645 लोगों की आबादी पर अस्पताल का एक बेड है। अब जिस बिहार में डॉक्टरों की भारी कमी हो और अस्पताल में बेड की किल्लत। वहां सीएम के लिए अलग अस्पताल की व्यवस्था और डॉक्टरों की नियुक्ति सवाल खड़े करती है, वो भी तब जब बिहार में कोरोना की रफ्तार तेज है। ऐसे में इन सवालों से सरकार की फजीहत होने लगी। सो आनन फानन में स्वास्थ्य विभाग ने सीएम आवास में अस्पताल और डॉक्टरों की नियुक्ति का आदेश वापस ले लिया और पीएमसीएच अधीक्षक ने आदेश पत्र रद्द कर दिया। 

साल 2017 में लालू के लिए तैनात हुए थे डॉक्टर

वैसे ये पहली बार नहीं है जब वीवीआईपी के नाम पर सिस्टम को झोंकने की बात हुई है। जो तेजस्वी यादव, आज सीएम नीतीश पर सवाल उठाते नज़र आए, मई-जून 2017 में उनके ही पिता लालू यादव के देखभाल के लिए एक हफ्ते तक IGIMS के तीन सीनियर डॉक्टर और दो मेल नर्सों को राबड़ी आवास 10 सर्कुलर रोड पर तैनात किया गया था। तब तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम थे और उनके बड़े भाई तेजप्रताप स्वास्थ्य मंत्री। यानी साफ है सिस्टम आम लोगों के लिए हो ना हो, खास को खुश करने के लिए सबकुछ झोंक देता है।






टिप्पणियाँ

  1. हमेशा ऐसा ही होता है वीआईपी के लिए जो बिल्कुल गलत है

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