सीएम दे रहे हैं 15 हजार का टारगेट, डिप्टी सीएम 9 हजार का कर रहे हैं दावा और स्वास्थ्य विभाग 5 हजार जांच पर फुस्स है। बधाई हो ! कोरोना जांच में बिहार नीचे से टॉप पर है।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का 4 जुलाई को किया ये ट्वीट देखिए और कोरोना टेस्ट को लेकर राज्यों की लिस्ट में बिहार का नाम ढूंढिए। बिहार का नाम आपको सबसे नीचे मिलेगा। तो गर्व कीजिए क्योंकि बिहार कोरोना टेस्ट को लेकर देश के 19 राज्यों में एक बार फिर नीचे से टॉप पर है। यहां तक कि करीब 12 करोड़ की आबादी वाला बिहार, कोरोना टेस्ट के मामले में सवा 3 करोड़ की आबादी वाले झारखंड से भी नीचे है।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की ओर से जारी इस आंकड़े के मुताबिक बिहार में 10 लाख की आबादी पर सिर्फ 2 हजार 197 टेस्ट हो रहे हैं, जबकि दिल्ली 10 लाख की आबादी पर 32 हजार 863 टेस्ट के साथ सबसे ऊपर है। दिल्ली के मुकाबले बिहार में कोरोना जांच 15 गुना कम है। यहां तक कि बिहार से छोटा और पड़ोसी राज्य झारखंड भी दस लाख की आबादी पर 4,416 टेस्ट कर रहा है। जबकि तेलंगाना में ये आंकड़ा 2,637 प्रति दस लाख की आबादी के टेस्ट के साथ बिहार से ऊपर है। वहीं पड़ोसी राज्य यूपी में दस लाख की आबादी पर 3 हजार 798 टेस्ट हो रहे हैं।
लेकिन हैरानी और शर्म की बात ये है कि सत्ता में बैठे हुक्मरान बड़ी बेशर्मी से कामयाबी का ढोल पीट रहे हैं। लेकिन कामयाबी के इस ढोल में भी कई छेद नज़र आते हैं। ज़रा डिप्टी सीएम सुशील मोदी का 7 जुलाई का ट्वीट देखिए।
12 करोड़ की आबादी वाले बिहार में रोज 9 हजार टेस्ट का दावा करते हुए इतरा रहे हैं, लेकिन डिप्टी साहब का ये दावा भी सरासर झूठ हैं। क्योंकि बिहार हेल्थ डिपार्टमेंट के ट्वीट को देखे, तो आज तक बिहार में कोरोना के 9 हजार टेस्ट एक दिन में नहीं हुए। बल्कि 9 हजार टेस्ट तो छोड़िए, पिछले चार दिनों में कोरोना टेस्ट की संख्या में बढ़ोतरी के बजाए लगातार कमी ही देखी जा रही है और 7 जुलाई को महज 5 हजार 168 जांच हुई।
ज़रा सिलसिलेवार तरीके से देखते जाइए कैसे बिहार में कोरोना टेस्ट की संख्या में बढ़ोतरी के बजाए कैसे कमी होती जा रही है।
4 जुलाई- 7930 जांच
5 जुलाई- 6799 जांच
6 जुलाई- 6213 जांच
7 जुलाई- 5168 जांच
ये हाल तब है जब बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, जो इन दिनों बीजेपी की चुनावी कार्यक्रमों और वर्चुअल रैली करते ज्यादा नज़र आते हैं, 20 जून तक ही ट्विटर पर दस हजार टेस्ट हासिल करने का दावा ठोक दिया था।
लेकिन कोरोना जांच को लेकर झोल यहीं खत्म नहीं होती। अब नीतीश सरकार में कोरोना जांच को लेकर कैसे झूठ का प्रचार प्रसार होता है और कैसे सीएम नीतीश इसी झूठ पर खुश भी हो जाते हैं। इसकी बानगी के लिए 29 जून को सीएम कार्यालय से जारी प्रेस रिलीज पर गौर कीजिए। इस प्रेस रिलीज को हमेशा की तरह होने वाली उच्चस्तरीय समीक्षा के बाद सीएम नीतीश के ट्विटर हैंडल पर जारी किया गया।
इसमें 29 जून को ही स्वास्थ्य विभाग ने सीएम को बता दिया कि रोजाना दस हजार टेस्ट का लक्ष्य प्राप्त भी कर लिया गया है, तो सीएम साहब ने खुश होकर 15 हजार टेस्ट का टारगेट दे दिया। इस बैठक में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भी थे, जो अभी तक 10 हजार टेस्ट का दावा पूरा नहीं कर पाए हैं।
लेकिन बिहार के सुशासन में इतना गड़बड़झाला है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पीएम मोदी से भी कोरोना जांच को लेकर सरासर झूठ बोल देते हैं। 17 जून को ज़रा प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी प्रेस रिलीज पर गौर कीजिए।
जिसमें साफ लिखा है कि सीएम नीतीश ने दस हजार टेस्ट रोज होने का ना सिर्फ दावा किया, बल्कि अब 20 हजार टेस्ट प्रतिदिन का सपना भी दिखा गए। ज़ाहिर है सुशासन राज में कोरोना जांच को लेकर झोल ही झोल है और इस झोल के कारण ही बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या में भी झोल होने की आशंका है। क्योंकि जितनी ज्यादा जांच होगी, उतने मामले सामने आएंगे। टेस्ट कम, मामले कम तो बिहार में सब ठीक। बाकी लोग मरते रहें तो मरें, वर्चुअल रैली और चुनाव प्रचार तो जरूरी है। बाकी बिहार में तो बहार है ही।
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